सप्तमी युक्त षष्ठी तिथि का बड़ा महत्व,25 अगस्त को करें हल षष्ठी का व्रत : डॉ. इंदुभवानंद महाराज

सप्तमी युक्त षष्ठी तिथि का बड़ा महत्व,25 अगस्त को करें हल षष्ठी का व्रत : डॉ. इंदुभवानंद महाराज

रायपुर। शंकराचार्य आश्रम बोरियाकला रायपुर के स्वामी डॉक्टर इंदुभवानंद महाराज ने हल षष्ठी को लेकर उत्तपन्न असमंजस की स्थिति को दूर किया। महाराज जी ने कहा कि भाद्र कृष्ण पक्ष की षष्ठी को हल षष्ठी का व्रत माना जाता है। इस बार पुनः हल षष्ठी को लेकर हमारे सामने विभिन्न प्रकार की बातें हैं सामने आई। सभी पूछ रहे हैं की हाल षष्ठी का व्रत कब मनाया जाए। 

महाराज जी ने कहा कि निर्णय सिंधु के अनुसार यह तिथि सप्तमी युक्त होना चाहिए। कहीं ऐसा भी लिखा है कि हल षष्ठी को शीलता व्रत को मध्यान्ह व्यापनी ग्रहण करना चाहिए। 
कहीं कहीं ऐसा भी प्राप्त होता है कि  पूजा में और व्रत में मध्यान्ह व्यापनी तिथि को ग्रहण करना चाहिए, किंतु यह अन्य तिथियां के लिए निर्णय हो सकता है। अन्य षष्ठियों के लिए निर्णय हो सकता है। भाद्र कृष्ण षष्ठी हल षष्ठी के लिए यह निर्णय उत्तम नहीं है। निर्णय सिंधु का स्पष्ट वचन है दिवोदास स्पष्ट कहते हैं भाद्र कृष्णा षष्ठी को ही हल षष्ठी कहते हैं और यह सप्तमी युक्त रहना चाहिए, इसलिए हम सभी को सप्तमी युक्त रहना चाहिए।

महाराज जी ने कहा कि इस तिथि को माताएं बहनें अपने पुत्र की रक्षा के लिए षष्ठी तिथि का व्रत करती है। इसी को हल षष्ठी कहते हैं,भगवान कृष्ण, बलभद्र आदि के पूजन का इसमें विधान प्राप्त होता है। इस बार इस तिथि को लेकर फिर असमंजस की स्थिति है। शनिवार 24 अगस्त को दिन में 12 बज कर 41 मिनट पर यह  तिथि प्रारंभ हुई है जो रविवार 25 अगस्त को 10:24 बजे पर समाप्त हो जाएगी। इस दृष्टि से विचार किया जाए तो यह मध्यान व्यापनी हमकों पहले दिन प्राप्त होती है। दूसरे दिन मध्यान कल में नहीं प्राप्त होती है, पूर्वान्ह काल से कुछ आगे समाप्त होती है। दिवोदास के वचन के अनुसार इसको हमको सप्तमी युक्त ही ग्रहण करना चाहिए,जो हमें रविवार 25 अगस्त को ही प्राप्त हो रही है। इसलिए माता और बहनों से अनुरोध है कि रविवार 25 अगस्त को ही भाद्र कृष्ण षष्ठी हल षष्ठी का व्रत मनाएं। इसी दिन भगवान का पूजन कर पुण्य लाभ कमाएं।