जानिए कब है जन्माष्टमी,डॉ. इंदुभवानंद महाराज ने बताया इस बार बन रहा विशेष संयोग

जानिए कब है जन्माष्टमी,डॉ. इंदुभवानंद महाराज ने बताया इस बार बन रहा विशेष संयोग

रायपुर। शंकराचार्य आश्रम बोरियाकला के स्वामी डॉ. इंदुभवानंद महाराज ने बताया कि इस बार जन्माष्टमी 26 अगस्त को है। उन्होंने कहा कि अष्टमी दो प्रकार की होती है। एक जन्माष्टमी होती है और एक जयंती योग होता है। तिथि के साथ जो योग बनता है वह जन्माष्टमी कहलाता है और नक्षत्र के साथ तिथि का जब योग बनता है तो वह जयंती योग कहलाता है। इस बार जन्म जयंती योग बन रहा है,जो अति उत्तम है। 26 अगस्त सोमवार को अष्टमी तिथि प्रातः 8:20 बजे से प्रारंभ होकर के दूसरे दिन मंगलवार को प्रातः 6:35 बजे पर ही समाप्त हो जा रही है। अतः 26 अगस्त सोमवार को ही जन्माष्टमी व्रत मानना चाहिए। 

इंदुभवानंद महाराज ने कहा कि जो स्मार्थ मत को मानने वाले हैं, जो वैष्णव मत को मानने वाले हैं, दोनों को ही जन्माष्टमी उसी दिन अर्थात सोमवार को ही मना लेना चाहिए। इसमें तीन मत प्राप्त होते हैं जो स्मार्थ मत को लेकर चलते हैं, दूसरा वैष्ण वाले प्राप्त होते हैं, तीसरा रोहिणी उपासक,ये  विचित्र संयोग है की तीनों का संयोग हो रहा है।

एक तो अष्टमी निश्चित काल व्यापनी प्राप्त हो रही है। दूसरी बात ये है नक्षत्र भी हमकों उसी दिन प्राप्त हो रहा है  और तीसरी बाते ये है कि चंद्रोदय भी इस समय प्राप्त हो जा रहा है। इसलिए जो रोहणी की उपासना करने वाले हैं,जो वैष्णव मत को मानने वाले हैं और जो स्मार्थ मत 
को मानने वाले हैं, सबको 26 अगस्त को जन्माष्टमी का लेना चाहिए। सोमवार अष्टमी रोहणी योग के समय चंद्रोदय हो रहा है। रात्रि में 11:05 मिनट पर चंद्र उदय हो जाएगा। चंद्र उदय के योग होने से यह अत्यंत उत्तम योग बन रहा है। अष्टमी तथा रोहणी और चंद्रोदय दोनों का सहयोग होने से सभी लोगों को अष्टमी का व्रत जो है सोमवार 26 अगस्त को ही मना लेना चाहिए।

निर्णय सिंधु के अनुसार अष्टमी तिथि यदि रोहणी नक्षत्र में है तो इसको जन्म जयंती योग माना जाता है। यह अनंत जन्मों के पापों को नष्ट करने की सामर्थ्य रखती है। इसी बात का समर्थन करते हुए हेमाद्रि ने भी लिखा है इस तिथि को जयंती के नाम से जाना जाता है, इसकी उपासना करना चाहिए। यह समस्त प्रकार लजे पापों को नष्ट करने वाली है।