हमर चाउर वाले बबा जम्मो जन के सहारा

हमर चाउर वाले बबा जम्मो जन के सहारा

रायपुर (चैनल इंडिया)। विधानसभा अध्यक्ष के बंगले में आमतौर पर उस समय गहमा गहमी देखने को मिलती है, जब विधानसभा के सत्र चलते रहते हैं। उस वक्त पूरे प्रदेश के लोग और जनप्रतिनिधि राजधानी में रहते हैं और अपनी बात कहने के लिए विधानसभा अध्यक्ष के पास पहुंचने की कोशिश करते हैं परंतु राज्य निर्माण के बाद पहली बार ऐसा देखा जा रहा है, जब विधानसभा अध्यक्ष के बंगले में सुबह से मिलने वाले पहुंच जाते हैं। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह का मौलश्री विहार स्थित आवास और शंकर नगर स्थित स्पीकर हाउस सुबह से ही गुलजार रहता है। तरह-तरह की समस्याएं लेकर प्रदेशवासी उनसे मिलने पहुंचते हैं, इस उम्मीद में कि डॉ. रमन सिंह ने रुचि ले ली तो यकीनन उनका काम हो जाएगा, उनकी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। 
डॉ. रमन सिंह छत्तीसगढ़ विधानसभा के छठवें अध्यक्ष हैं। उनसे पहले पं. राजेंद्र प्रसाद शुक्ल, प्रेमप्रकाश पाण्डेय, गौरीशंकर अग्रवाल, धरमलाल कौशिक और डॉ. चरणदास महंत विधानसभा के अध्यक्ष रह चुके हैं लेकिन इस बार विधानसभा अध्यक्ष के बंगले की तस्वीर बदली दिखाई दे रही है। लगातार डेढ़ दशक तक प्रदेश का नेतृत्व करने वाले डॉ. रमन सिंह की स्वीकार्यकता प्रदेश के हर गांव में हैं। अपने सहज व सरल स्वभाव के कारण उनके विरोधी भी उन्हें पसंद करते हैं। अपने शासनकाल में अनेक जन कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से हर छत्तीसगढ़वासी के करीब पहुंच कर डॉ. रमन सिंह उन्हें अपना बना चुके हैं। शायद यही वजह है कि विधानसभा अध्यक्ष होने के बावजूद डॉ. रमन सिंह के पास पहुंचने वाले लोगों को यह उम्मीद रहती है कि उनके माध्यम से सरकार में उनकी सुनवाई जरूर होगी। फिलहाल सत्ता से दूर होने के बाद भी डॉ. रमन सिंह आने वाले हर व्यक्ति से बेहद आत्मीयता के साथ मिलते हैं, उसकी समस्याओं को सुनते हैं और फिर पत्र के माध्यम से उस समस्या को सरकार के संज्ञान में लाते हैं। 
मुख्यमंत्री के रूप में डॉ. रमन सिंह को उस वक्त ख्याति मिली, जब उन्होंने गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले प्रदेशवासियों के लिए मात्र एक रुपए किलो चावल देने की क्रांतिकारी योजना लाई और उसे धरातल पर सफलतापूर्वक उतारा। इसके बाद प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर में उन्हें चाउर वाले बाबा के नाम से पुकारा जाने लगा। इसी तरह प्रदेश के वनांचलों में तेंदूपत्ता संग्राहकों को नंगे पैर तेंदूपत्ता एकत्र करते देख डॉ. रमन सिंह ने उन्हें चरण पादुकाएं देने का फैसला किया तो पूरे देश में उनकी सराहना की गई कि वनवासियों की चिंता इस तरह से की जानी चाहिए। 
आमतौर पर सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले जनप्रतिनिधियों से मिलने के लिए लोग आतुर रहते हैं परंतु राज्य निर्माण के बाद शायद यह पहली बार हो रही है कि उम्मीदें लिए प्रदेशवासी विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह से मिलने के लिए आतुर दिख रहे हैं। सुबह से डॉ. रमन सिंह अपने निवास कार्यालय में उपस्थित हो जाते हैं और फिर शुरू होता है मेल-मुलाकात का दौर। अनेक प्रकार के सामाजिक संगठन, खेल संगठन, जातीय संगठन के अलावा शासकीय सेवकों के संगठन अपनी-अपनी अर्जी लेकर डॉ. रमन सिंह से मिलने पहुंचते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि डॉ. रमन सिंह ही वह सहारा हैं, जिनके माध्यम से उनकी नैया किनारे लगाई जा सकती है। 

डॉ. रमन सिंह राजनांदगांव से विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं। अध्यक्ष की भूमिका निभाते वक्त उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र का पूरा ध्यान रहता है। वे लगातार राजनांदगांव के सम्पर्क में रहते हैं, वहां के कार्यक्रमों में शिरकत करते हैं तथा अपने मतदाताओं के सुख-दुख में शामिल होते हैं। राजधानी रायपुर से उन्हें स्नेह हैं। यहां रहने वाले अधिकतर लोगों के साथ उनका निजी रिश्ता है, यही वजह है कि राजधानी में होने वाले समारोहों में डॉ. रमन सिंह विशेष रूप से उपस्थित होते हैं। कुल मिलाकर विधानसभा अध्यक्ष होने के नाते डॉ. रमन सिंह ने खुद को एक दायरे में नहीं बांधा है। उन्होंने स्थापित परम्परा को तोड़ते हुए अपनी छवि एक जन नेता के रूप में बनाने की कोशिश की है। यही वजह है कि वे आज भी प्रदेशवासियों के लिए एक उम्मीद, एक सहारा बने हुए हैं।