बिल्डर्स ने बंद किया था,9 साल बाद अदालत ने खुलवाया रास्ता

बिल्डर्स ने बंद किया था,9 साल बाद अदालत ने खुलवाया रास्ता

बलौदाबाजार से संवाददाता उमेश वाजपेयी की रिपोर्ट

रास्ते की जंग में न्यायालय में मिला इंसाफ - मधु सर्राफ

बलौदाबाजार। नगर की एक अनोखी कहानी जिसमें कुछ रसूकदारों का मानना था कि बिल्डर्स ने कॉलोनी बनाई है जहां से किसान को अपने खेत में जाने रास्ता मिलना नामुनकिन है किंतु नगर की एक बेटी मधु सर्राफ ने अपनी 6 बहनों के साथ प्रण कर वो कर दिखाया जो शायद ही किसी के बस की बात थी। आखिरकार राजस्व प्रशासन का चक्कर काटकर परेशान होकर सर्राफ परिवार की बेटियों ने बिल्डर्स के विरुध्द वाद न्यायालय में पेश किया था, जिस पर बिल्डर्स द्वारा आने-जाने का रास्ता बंद कर दिये जाने के विरुद्ध पेश मार्गाधिकार के वाद में वादीगण के रास्ता को बंद कर देना को मानवाधिकार का उल्लंघन मानते हुए न्यायालय द्वारा आने-जाने का रास्ता दिये जाने का आदेश दिया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार मामला इस प्रकार का है कि पंचशील नगर बलौदाबाजार से लगा निर्माणाधीन कॉलोनी प्रतिष्ठा के दोनों बिल्डर्स नितेश शर्मा व आनंद सर्राफ द्वारा प्रतिष्ठा कॉलोनी से लगी मधु सराफ एवं उसकी अन्य 6 बहनों के 10 एकड़ की भूमि पर आने-जाने के रास्ता को दिवाल उठाकर बंद कर दिया गया,जिसके कारण मधु एवं उसकी बहनों द्वारा 9 सालों से अपनी भूमि पर नहीं आ-जा सकने के कारण न ही कास्तकारी कर सक रहे थे और न ही उक्त भूमि का बिक्री कर सक रहे थे जबकि प्रतिष्ठा कॉलोनी वाली भूमि से उसके पूर्व स्वामी अब्दुल जब्बार के जीवनकाल से लगभग 54-55 साल से मधु एवं उसकी बहनों द्वारा अपने पिता के समय से निरंतर आना-जाना करने के कारण उन्हे उक्त भूमि पर आने-जाने का कानूनी अधिकार प्राप्त हो गया था,जिसे प्रतिष्ठा कॉलोनी के दोनों बिल्डर्स द्वारा इसलिए बंद कर दिया गया था ताकि मधु सर्राफ वगैरह अपनी उक्त भूमियों को किसी अन्य के पास बिक्री न कर सकें। तब मधु एवं उसकी बहनों द्वारा अपने अधिवक्ता सतीश चन्द्र श्रीवास्तव के माध्यम से मार्गाधिकार का वाद दोनों बिल्डर्स सहित प्रतिष्ठा कॉलोनी में प्लाट खरीदने वाले सभी लोगो के विरुद्ध न्यायालय में वाद पेश किया गया था,जिसमें 9 साल की लंबी लड़ाई लड़ने के पश्चात् वरिष्ठ व्यवहार न्यायाधीश  मंजूलता सिन्हा द्वारा निर्णय पारित कर दोनों बिल्डर्स को मधु वगैरह का रास्ता बंद नहीं किए जाने का आदेश दिया गया है l अधिवक्ता सतीश चंद्र श्रीवास्तव ने उक्त संबंध में बताया कि वर्ष 2015 से आज तक मधु और उसकी बहने न ही अपने खेत पर जा सके और ना ही खेती कर सके जिसके कारण उन्हें 20 लाख रूपये से ज्यादा का नुकसान भी उठाना पड़ा है l वही इस मामले को लेकर मधु सराफ ने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है, किंतु पराजित नहीं, 9 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद मुझे अपने अधिवक्ता सतीश चन्द्र श्रीवास्तव के माध्यम से रास्ते की जंग में न्यायालय से इंसाफ मिला है l