Video : 22 अगस्त को बहुला चतुर्थी का व्रत,डॉ. इंदुभवानंद महाराज ने बताया महत्व और विधान

Video : 22 अगस्त को बहुला चतुर्थी का व्रत,डॉ. इंदुभवानंद महाराज ने बताया महत्व और विधान

रायपुर। शंकराचार्य आश्रम बोरियाकला के स्वामी डॉ. इंदुभवानंद महाराज ने बहुला चतुर्थी व्रत के महत्व और विधान की जानकारी दी । उन्होंने बताया कि भाद्रपद का अत्यंत पुनीत मास चल रहा है। भाद्रपद मास में गणेशजी का विशेष पूजन होता है।  कृष्ण पक्ष बहुला चतुर्थी से प्रारंभ होता है और शुक्ल पक्ष गणेश नवरात्रि को समाप्त होता है। बहुला चतुर्थी मध्यप्रदेश में अत्यंत प्रसिद्ध है। 

इंदुभवानंद महाराज ने बताया कि भाद्रपद कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को बहुला चतुर्थी कहा जाता है। यह व्रत मध्यप्रदेश के लोग बहुत अधिक मानते हैं। 22 अगस्त गुरुवार को तृतीया तिथि शाम को 5:33 मिनट पर समाप्त होगी और चतुर्थी तिथि उसके बाद आरंभ हो जाएगी। दूसरे दिन शुक्रवार को 3:06 मिनट तक रहेगी तो दूसरे दिन संध्याकाल 23 तारीख को चतुर्थी के ना रहने के कारण जो बहुला चतुर्थी है वह गुरुवार 22 अगस्त को ही है, अतः इस दिन व्रत मना लेना चाहिए।

इंदुभवानंद महाराज ने बताया इस व्रत में चंद्र उदय का बड़ा महत्व होता है और चंद्र दर्शन कर चंद्र का ही पूजन किया जाता है। चंद्र उदय उस दिन रात में 8:20 को होगा इसलिए सभी आस्तिक लोग जो गणेशजी की उपासना करना चाहते हैं उनको 22 अगस्त 2024 गुरुवार को बहुला चतुर्थी का व्रत करना चाहिए। चंद्र उदय होने पर चंद्र को अर्घ्य देना चाहिए। भगवान श्री गणेश का गंध, पुष्प, ध्रुवा से विधिवत पूजन करना चाहिए और उनकी परिक्रमा करनी चाहिए। भगवान गणेश को तर्पण बहुत प्रिय है, तर्पण से भी प्रसन्न होते हैं, इसलिए तर्पण कर ध्रुवा के द्वारा अर्चन करके उनको प्रसन्न करना चाहिए और हो सके तो इस दिन सबछड़ा गाय अर्थात बछड़े सहित गाय का दान करना चाहिए। साथ ही  कम से कम 27 दिन तक चल सके,गाय के चारा का भी दान करना चाहिए। इस विधान पूर्वक सभी लोगों को 22 अगस्त  को बहुला चतुर्थी का व्रत करना चाहिए।