आज का पंचांग : साल की महत्वपूर्ण 'पौष अमावस्या' आज, पितृ तर्पण के लिए श्रेष्ठ दिन; जानें राहुकाल और शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली। आज 19 दिसंबर 2025, दिन शुक्रवार है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आज पौष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि है। शास्त्रों में पौष अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है। इसे 'पितृ कार्य अमावस्या' या 'दशमी' भी कहा जाता है। यह दिन पितरों की शांति, तर्पण और कालसर्प दोष के निवारण के लिए वर्ष के सबसे उत्तम दिनों में से एक माना जाता है।
इसके अलावा, शुक्रवार होने के कारण आज माँ लक्ष्मी की पूजा का भी विशेष संयोग बन रहा है। आइये जानते हैं आज के पंचांग की विस्तृत जानकारी, शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय।
आज की मुख्य तिथि और संवत
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दिनांक: 19 दिसंबर 2025
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दिन: शुक्रवार (Friday)
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विक्रम संवत: 2082
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शक संवत: 1947
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मास (महीना): पौष
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पक्ष: कृष्ण पक्ष
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तिथि: अमावस्या (दोपहर तक, उसके बाद प्रतिपदा लग सकती है, लेकिन उदयातिथि में अमावस्या मान्य रहेगी)।
नक्षत्र और योग
आज चंद्रमा धनु राशि में संचार करेंगे। नक्षत्रों की बात करें तो आज मूल नक्षत्र का प्रभाव रहेगा जो बाद में पूर्वाषाढ़ा में परिवर्तित होगा।
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नक्षत्र: मूल (गंडमूल नक्षत्र) - सावधानी बरतें।
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योग: वैधृति योग (धार्मिक कार्यों के लिए थोड़ा कठिन माना जाता है, संयम रखें)।
सूर्योदय और सूर्यास्त (मानक समय)
सर्दियों के कारण दिन छोटा और रात लंबी होगी।
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सूर्योदय (Sunrise): सुबह 07:09 बजे
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सूर्यास्त (Sunset): शाम 05:29 बजे
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चंद्रोदय: आज अमावस्या है, इसलिए चंद्र दर्शन नहीं होंगे।
आज का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)
अमावस्या के दिन दान-पुण्य करना सबसे शुभ माना जाता है।
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अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:59 बजे से दोपहर 12:40 बजे तक। (यह समय किसी भी शुभ कार्य के लिए श्रेष्ठ है)।
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विजय मुहूर्त: दोपहर 02:00 बजे से 02:41 बजे तक।
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गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:26 बजे से 05:53 बजे तक।
आज का अशुभ समय (राहुकाल)
शुक्रवार के दिन राहुकाल सुबह के समय लगता है। इस दौरान पूजा-पाठ का आरंभ या नई खरीदारी से बचना चाहिए।
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राहुकाल: सुबह 10:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक।
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यमगंड: दोपहर 03:00 बजे से 04:30 बजे तक।
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दिशा शूल: पश्चिम दिशा (West)।
आज का विशेष महत्व: पौष अमावस्या
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पितृ दोष निवारण: जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष है, उन्हें आज पवित्र नदी में स्नान करके पितरों को जल देना चाहिए और ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
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पीपल पूजा: आज शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना और परिक्रमा करना दुर्भाग्य को दूर करता है।
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सूर्य-शनि पूजा: पौष का महीना सूर्य देव का होता है और अमावस्या शनि देव से संबंधित है। इसलिए आज दोनों ग्रहों की शांति के उपाय किए जा सकते हैं।

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