शासकीय शिक्षक और शिक्षिका के बीच अवैध संबंध उजागर, जिला शिक्षा अधिकारी को निलंबन के लिए आयोग भेजेगा पत्र

शासकीय शिक्षक और शिक्षिका के बीच अवैध संबंध उजागर, जिला शिक्षा अधिकारी को निलंबन के लिए आयोग भेजेगा पत्र

अश्लील मैसेज के प्रकरण में अन्य लोगों को भी पक्षकार बनाया गया


रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीडन से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में ये 272वीं सुनवाई हुई। यह रायपुर जिले की 131वीं जनसुनवाई रही।

एक प्रकरण में अनावेदक ने बताया कि वह शासकीय विद्यालय में शिक्षक है और उसे 62 हजार रुपए वेतन प्राप्त होता है। अनावेदक ने स्वीकार किया कि वह 3 वर्षों से अपनी पत्नी व बच्चों से अलग रह रहा हैं और दोनों बच्चों के लिए 8 से 10 हजार रुपए खर्च दे रहा हैं। अनावेदक ने यह भी स्वीकार किया कि उसी विद्यालय में पूर्व में कार्यरत महिला से अनावेदक का अवैध संबंध था। दूसरी महिला व आवेदिका के पति से यह पूछा गया कि शासकीय सेवा में कार्यरत रहने पर अवैध संबंधों में लिप्त रहने पर शासकीय सेवा से निकाला जा सकता है इस नियम की जानकारी है क्या? उत्तर हाँ हमें इस बात की जानकारी है और यह शासकीय नियमों के खिलाफ है। अनावेदक की सर्विस बुक में आवेदिका व दोनों बच्चों का नाम दर्ज है लेकिन वह अपने बच्चों को भरण-पोषण नियमित खर्च उठाने में आनाकानी कर रहा है। आवेदिका का प्रकरण साबित हो चुका है कि लगातार दोनों अनावेदकगण अवैध संबंध में रह रहे हैं। शासकीय सेवा में रहते हुए अवैध रिश्तों में रहना कानूनी अपराध है। दोनों अनावेदकगणों को सेवा से निकालकर उसकी विस्तृत जांच करने का पत्र भेजा जाएगा व दूसरी महिला को सुधरने का मौका देकर 2 माह के लिए नारी निकेतन भेजे जाने का आदेश आयोग के द्वारा दिया गया।

मोबाइल पर किया था अश्लील मैसेज

सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में अनावेदक ने आवेदिका के साथ छेड़छाड़ व अश्लील मैसेज किया था, जिसका दस्तावेज आवेदिका के मोबाइल पर है और अनावेदक का मो. नं. भी वही है, जिससे आवेदिका के मोबाइल पर मैसेज आया । इसकी शिकायत आवेदिका ने मुख्य अभियंता पी.डब्लू.डी. के निज सहायक को की थी,जिनके द्वारा अनावेदक को बुलाकर लताड़ा और माफी मंगवाया था तथा विशाखा कमेटी की जांच के बाद भी आवेदिका को जानकारी नहीं दी गई। आवेदिका का स्थानांतरण कर दिया गया। आवेदिका के दस्तावेज देखने से स्पष्ट है कि आवेदिका के मोबाइल पर अनावेदक के मोबाइल से मैसेज आया था,जिसमें "SEX" लिखा है। जो स्वयंमेव आपत्ति जनक है। प्रकरण को देखने से समझ आता है कि आवेदिका के साथ कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न किया गया आवेदिका को समझाइश दिया गया कि वह अन्य व्यक्तियों जिन्हें आवेदिका ने शिकायत किया उनका नाम, पद, पता व मो.नं. दे ताकि उन सभी को प्रकरण में जोडा जा सके और प्रकरण का निराकरण किया जा सके।

शादी के कुछ दिन साथ रह कर हुए अलग

एक अन्य प्रकरण में उभय पक्ष की शादी को लगभग 2 साल हो गए। कुछ दिन साथ रहने के बाद दोनों अलग रह रहे है। अनावेदक ने भरण-पोषण देने में असहमति बताई व आवेदिका के विवाह का सामान देने के लिए तैयार है। आयोग ने निर्देश दिया कि काउंसलर की उपस्थिति में आवेदिका को उसका सामान दिलवायेंगे। यदि अनावेदक या परिजनों के द्वारा कोई विरोध किया जाता है तो आवेदिका अनावेदक के खिलाफ एफआईआर करा सकती है।

पहले शादी का सामान देने की सहमति फिर कहा आवेदिका को रखना चाहता है साथ

एक अन्य प्रकरण में पिछली सुनवाई में अनावेदकगण आवेदिका के विवाह का सामान देने के लिए आयोग के समक्ष सहमत थे। लेकिन आज की सुनवाई में अनावेदकगण कहते है कि वह आवेदिका को रखना चाहते है। आवेदिका के साथ लगातार प्रताड़ना की कार्यवाही तीनों अनावेदकगण द्वारा किया जा रहा था। आवेदिका को जान का खतरा था। इसके बावजूद आवेदिका यह चाह रही थी कि आयोग की सहमति से प्रकरण का निराकरण हो। लेकिन अनावेदकगण आयोग के समक्ष आवेदिका को परेशान कर रहे है। ऐसी दशा में आयोग द्वारा आवेदिका को समझाइश दिया गया कि वह अनावेदकगणों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज कराये। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।

संपत्ति आवेदिका के बेटे के नाम करने से मुकरा

एक अन्य प्रकरण में अनावेदक के द्वारा आयोग के आदेश की अवहेलना किया जा रहा है। वह पिछली सुनवाई में संपत्ति आवेदिका के बेटे के नाम करने तैयार था। बाद में मुकर गया है। आवेदिका को न्यायालय में अनावेदक के खिलाफ केस करने का निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।