'प्रकृति की ओर सोसायटी' द्वारा आयोजित " गर्मी में पौधों की देखरेख कैसे की जाए" विषय पर आयोजित की गई कार्यशाला

'प्रकृति की ओर सोसायटी' द्वारा आयोजित " गर्मी में पौधों की  देखरेख कैसे की जाए" विषय पर आयोजित की गई कार्यशाला

रायपुर। कल प्रकृति की ओर सोसायटी द्वारा आयोजित " गर्मी में पौधों की देखरेख कैसे की जाए" विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई। अतिथियों का स्वागत करते हुए अध्यक्ष मोहन वर्ल्यानी ने कहां की हम वक्ताओं द्वारा बताए छोटे-छोटे उपाय अपना कर गर्मी में पौधों की सुरक्षा के साथ साथ पानी की भी बचत कर सकते हैं।

वक्ता: बागवानी विशेषज्ञ सुश्री नेहा बंसोड,दुर्ग ने बताया किभीषण गर्मी में जैसे इंसानों को खास देखभाल की जरूरत होती है, वैसे ही पौधों को भी पानी, भोजन, छांव और सही देखभाल की आवश्यकता होती है। इसी विषय पर दुर्ग की सुश्री नेहा बंसोड़ द्वारा एक विशेष जानकारी दी गई। इस चर्चा में पानी देने के तरीके, पौधों का आहार, कटाई-छंटाई, मिट्टी की देखभाल, छांव की जरूरत, पौधों के तनाव और बीमारियों से बचाव जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर मार्गदर्शन दिया गया।

वक्ता डॉ. अनिल सिंह चौहान, जो कि ग्लोबल इन्फ्रा एंड लैंडस्केप एसोसिएट्स (GILA) के प्रमुख हैं और जिन्हें लैंडस्केपिंग एवं गार्डनिंग लके क्षेत्र में 29 वर्षों का व्यापक अनुभव है, ने "गर्मी में हरियाली के सरल सूत्र एवं स्मार्ट सिंचाई के तरीके" विषय पर प्रकृति की ओर सोसाइटी द्वारा आयोजित एक ज्ञानवर्धक सेमिनार में विस्तार से चर्चा की ।

सेमिनार में डॉ. चौहान ने विशेष रूप से उन पौधों की चर्चा की जो गर्मी के मौसम में अच्छे से पनपते हैं जैसे – ज़िनिया, बालसम, गेलारडिया, गोमफ्रीना, सनफ्लावर, कॉसमॉस, पोटुलाका और कोचिया । उन्होंने इनके बोने, देखभाल एवं रखरखाव के व्यावहारिक टिप्स भी साझा किए।

उन्होंने ऑर्गेनिक मल्चिंग की तकनीक पर विस्तार से बताया, जिसमें पैरा, सूखी घास, लकड़ी की चिप्स और जैविक खाद के उपयोग से 40% तक जल संरक्षण संभव है और पौधों की जड़ों की रक्षा भी होती है। उन्होंने यह भी बताया कि शेड नेट का सही प्रयोग कर पौधों को चिलचिलाती धूप से कैसे बचाया जा सकता है।

इसके बाद उन्होंने ड्रिप इरिगेशन और माइक्रो ट्यूब सिंचाई प्रणाली पर प्रकाश डाला, जो विशेष रूप से घरेलू बागवानी के लिए उपयोगी है। इस तकनीक से 60 से 70 प्रतिशत पानी की बचत संभव है और कम श्रम में बेहतर परिणाम मिलते हैं।

सेमिनार में उन्होंने नल से जुड़ने वाले छोटे कंट्रोलर और टाइमर युक्त पंप की जानकारी दी, जो पानी को स्वतः चालू और बंद करने में सक्षम हैं। इसके अलावा, उन्होंने कम लागत वाला आधुनिक वेदर स्टेशन भी प्रदर्शित किया, जिससे बारिश के समय स्वतः सिंचाई बंद हो जाती है।

उन्होंने बताया कि कैसे आईएसटी (इंटेलिजेंट सिंचाई प्रणाली टेक्नोलॉजी) का घर की बागवानी और वर्टिकल गार्डनिंग में किफायती उपयोग संभव है। अंत में, उन्होंने गर्मी के महीनों में उर्वरक एवं कीटनाशकों के सही उपयोग पर भी मार्गदर्शन दिया।

यह सेमिनार अत्यंत ज्ञानवर्धक रहा, जिसमें उपस्थित प्रतिभागियों ने जाना कि कैसे नवीनतम तकनीकों का उपयोग कर कम लागत में बागवानी को सरल, जल-संवेदनशील और सुंदर बनाया जा सकता है।

प्रकृति प्रेमियों के विभिन्न प्रश्नों के समाधान वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ विजय जैन जी ने किया।

प्रकृति की ओर सोसायटी के अध्यक्ष मोहन वर्ल्यानी द्वारा स्वागत भाषण, आभार निर्भय धाडीवाल, मंच संचालन डा.पुरुषोत्तम चंद्राकर, दलजीत बग्गा, आर के जैन, संजय शर्मा, ममता मिश्रा,अनिल वर्मा, सी ए सी. एल. माहवर, सुषमा सामंतराय,अन्य सदस्य उपस्थित थे।