मच्छर कैसे पता करते हैं किसे काटना है किसे नहीं? यहां जानें इसके पीछे का विज्ञान

मच्छर कैसे पता करते हैं किसे काटना है किसे नहीं? यहां जानें इसके पीछे का विज्ञान

नई दिल्ली। अक्सर कुछ लोगों से सुना होगा कि ‘मुझे ही मच्छर ज्यादा क्यों काटते हैं?’। या फिर आप बैठे हैं बगल में आपके मित्र भी बैठे हैं, पर मच्छरों का झुंड आपके आसपास अधिक मंडराता है। आइए इस लेख में इसका विज्ञान समझते हैं।
मच्छरों का काटना एक ऐसी समस्या है, जिससे हर कोई परेशान रहता है। गर्मी का मौसम आ रहा है, और इस दिन में तो मच्छर खासतौर पर अधिक सक्रिय हो जाते हैं। ऐसे में आपने अक्सर कुछ लोगों से सुना होगा कि ‘मुझे ही मच्छर ज्यादा क्यों काटते हैं?’। या फिर कभी आपको ऐसा लगता है कि मच्छरों को आपसे कुछ ज्यादा ही दुश्मनी है, आप बैठे हैं बगल में आपके मित्र भी बैठे हैं, पर मच्छर उनको कम आपको काटना ज्यादा पसंद करते हैं, साथ ही मच्छरों का झुंड आपके आसपास अधिक मंडराता है। दरअसल, यह कोई संयोग नहीं है, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण छिपे हैं। मच्छरों की पसंद को प्रभावित करने वाले कई कारक होते हैं, जैसे शरीर की गंध, रक्त समूह, तापमान और यहां तक कि आप क्या खाते हैं। आइए जानते हैं कि मच्छरों की यह ‘पसंद-नापसंद’ कैसे काम करती है और इसके पीछे का विज्ञान क्या कहता है।
मच्छर इंसानों को ढूंढने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड का सहारा लेते हैं यानी जो हम सांस छोड़ते हैं वो उसे ही महसूस करते हैं। जिन लोगों के शरीर से ज्यादा ष्टह्र2 निकलती है, जैसे कि बड़े लोग या अधिक कद काठे वाले लोग, मच्छर उन्हें अधिक निशाना बनाते हैं।करीब 5 से 15 मीटर की दूरी से मच्छरों को इंसान दिखने लगते हैं। इंसानों के करीब तक पहुंचने के लिए वे अपने विजुअल्स का इस्तेमाल करते हैं। वहीं जब वे हमारे शरीर के बिल्कुल नजदीक पहुंच जाते हैं, तो शरीर की गर्मी को भांप कर वे निश्चित करते हैं कि व्यक्ति को काटना है या नहीं।
क्या आप जानते हैं कि आपका रक्त समूह भी मच्छरों की पसंद को प्रभावित करता है? कई शोध बताते हैं कि ‘ओ’ रक्त समूह वाले लोगों को मच्छर ज्यादा काटते हैं, जबकि ‘ओ’ रक्त समूह वाले लोगों को मच्छर कम पसंद करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि मच्छर कुछ रक्त समूहों में मौजूद रसायनों को ज्यादा पहचानते हैं।