महिला आयोग अध्यक्ष किरणमयी नायक ने की महिलाओं पर उत्पीडन प्रकरणों की सुनवाई

गरियाबंद से विजय साहू की रिपोर्ट
स्व सहायता समूह की जांच प्रकरण एसडीएम गरियाबंद को दिया ,सामाजिक बहिष्कार का मामला आपसी सुलहनामा से किया समाप्त
गरियाबंद । राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने गरियाबंद में महिला उत्पीडन से संबंधित प्रस्तुत प्रकरणों पर जनसुनवाई की गई। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक की अध्यक्षता में 318वीं जनसुनवाई हुई। जिला स्तर में 7वीं सुनवाई हुई। गरियाबंद जिला के जनसुनवाई में कुल 16 प्रकरण सुनवाई हेतु रखे गये थे। कार्रवाई में कलेक्टर भगवान सिंह उइके उपस्थित रहे।
सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका सुखिया निर्मलकर और अनावेदिका उपस्थित। अनावेदिका लगातार हुई सुनवाई में अनुपस्थित रही। पुलिस के द्वारा बुलाए जाने पर उपस्थित है। राजीव लोचन स्व सहायता समूह की सदस्य महिला स्व सहायता समूह की सदस्य है और अनावेदिका अध्यक्ष थी। स्व सहायता समूह के नाम पर सभी काम उसके लिये गया। और सदस्यों को 10 प्रतिशत के हिसाब से मजदूरी देती थी लेकिन समूह का कुल कितना फायदा नुकसान का हिसाब नहीं दिया। अनावेदिका ने स्व सहायता के नाम पर 2-3 मकान खरीदी है। सदस्यो का लाभांश का हिस्सा शोषण किया है। इस मामले की शिकायत आवेदिका के द्वारा लागातार किया गया है पर अब तक अनावेदिका ने कोई भी तथात्मक काम कभी नहीं किया है। अनावेदिका ने आयोग के समक्ष यह स्वीकार किया है कि वह सभी सदस्यों को 10रू प्रति घंटा के हिसाब से भुगतान करती थी और लाभ हानि का हिसाब नहीं दिया है, क्योकि सभी सदस्य लाभ हानि के हिस्सा नहीं लेंगे बोलते थे। आवेदिका का कथन ग्राह्य किये जाने योग्य नहीं है इसलिए इस प्रकरण को जांच के लिए एसडीएम गरियाबंद ऋषा ठाकुर को दिया गया है कि वह इस प्रकरण की समस्त समूह की महिलाओं का कथन लेने और अनावेदिका के समस्त दस्तावेजों की जांच करे और आवश्यकतानुसार तथा नियमानुसार अनावेदिका के खिलाफ कार्यवाही कर कभी आवेदिका को उनका हक दिलाने की प्रकिया प्रारंभ करें, और 2 माह के अंदर प्रक्रिया प्रारंभ करे तथा 3 माह के अपना रिपोर्ट प्रस्तुत करें। ताकि अंतिम निर्णय किया जा सके। अभिलेख की कापी आवेदिका एवं अधिकारी को निःशुल्क दिया जाय।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका उपस्थित। प्रकरण में एफआईआर होने एवं चालान प्रस्तुत होने के कारण प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। एक अन्य प्रकरण में उपयपक्ष उपस्थित। सामाजिक बहिष्कार के इस मामले में आवेदिका पक्ष ने गांव में जानवर बलि के नाम चंदा देने से मना किया था। जिसको लेकर गाव वालो ने अप्रत्यक्ष सामाजिक बहिष्कार किया था। आज विस्तार से सूने जाने के पश्चात् अनावेदक पक्ष के प्रस्ताव रखा कि गांव के सामूहिक कार्यक्रम होने वाले खर्च के लिए एकमुश्त राशि का ग्राम सभा का रसीद देंगे। जिस पर आवेदिका पक्ष अपना हिस्सा का सहयोग राशि रसीद के अनुसार देंगे। इस स्तर पर उभयपक्ष का प्रकरण नस्ती किया जाता है। प्रकरण को सरक्षण अधिकारी बिहान के निगरानी में रखा जाता है। व दोनो पक्ष को बुलाकर उनके सामाजिक बहिष्कार की समापन की पुष्टि करेगी। और आवेदिका के द्वारा न्यायालय में दर्ज मामला बापस करायेंगे। अनावेदकण के द्वारा आवेदिका पक्ष के मकान को नहीं हटाया जायेगा। इस स्तर पर प्रकरण नस्तीबद्ध किया जाता है।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया किया अनावेदक स्वयं को डाक्टर कहता है और उसके द्वारा आवेदिका का इलाज कराये जाने पर उसके बच्चे की मृत्यु हो गई अनावेदक डॉक्टर नहीं है लेकिन आवेदिका का इलाज बतौर डॉक्टर किया था जिसकी वजह से आवेदिका के माह के बच्चे की मृत्यु हुई। वह उत्त के खिलाफ कार्यवाही करवाना चाहती है। अनावेदक 12वीं तक शिक्षित है व पेशे से डॉक्टर नहीं है व हॉस्पिटल में मेडिकल चलाता है। अनावेदक की पत्नि 12वीं तक शिक्षित । मेडिकल स्टोर्स एक फार्मेसी के नाम पर है। जिसको सवालन अनावेदक के द्वारा किया जाता है वहां पर डॉक्टर रखे है पहले पहले 100 बिस्तर का अस्पताल है अभी वर्तमान में 30 बिस्तर का अस्पताल है। अनावेदक का कथन है आवेदिका के पक्ष कोई फीस जमा नहीं किया गया था लेकिन आवेदिों के दस्तावेज में देखने से यह स्पष्ट है कि आवेदिका ने जो बात कही वह अनावेदक की हॉस्पिटल पहुंची थी जांच हुआ था इसकी पुष्टि डॉक्टर के द्वारा किये गये खून जाच से दस्तावेज से प्रमाणित होता है आवेदिका ने उसी दिन शाम को अनावेदक के हॉस्पिटल में जांच कराया था। अनावेदक ने अपने समस्त दस्तावेज के प्रति जमा किया है। इसमें स्वतंत्र साक्ष्य की रूप में डॉक्टर से जाच कराना आवश्यक है। स्वतंत्र डॉक्टर से इस दस्तावेजों की जाच पश्चात् यह प्रकरणः रायपुर प्रकरण रायपुर सुनवाई नियत किया जाता है।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका अपने सौतेले पुत्र के खिलाफ वृद्धा अवस्था के रहने के अधिकार के लिए आवेदन लगाई है अनावेदक का कथन है कि आवेदिका के पास जमीन है और उसके हाल ही में 1 करोड़ की जमीन बेचा था। आवेदिका का कथन है कि 60 लाख में बेचा है। उसके अतिरिक्त उसके पास जमीन है जिसे अनावेदक जमीन से रोक लगा रहा है, अनावेदक के कहा कि वह कोई रोक नहीं लगा रहा है जमीन बेचने के लिए स्वतंत्र है जिस पैसे से वह अपना जीवन यापन कर सकती है। प्रकरण नस्तीबद्ध किया जाता है।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिकागणों ने सामाजिक बहिष्कार का शिकायत किया था। जिसमें उभयपक्ष के मध्य 20.01.25 को समझौता हो गया है। आवेदिकाराण अपना प्रकरण वापस लेना चाहती है अब उन्हें अनावेदकगण से कोई शिकायत नहीं है। प्रकरण नस्तीबद्ध किया जाता है। एक अन्य प्रकरण में आवेदिका की मृत्यु 2 अप्रैल 2025 को होग ई है उसके 15 वर्षीय पुत्र एवं उसके पति उपस्थित। ग्राम रवेली थाना धुरा से सभी अनावेदकगण उनके सभी ग्रामीण ग्रामवासी उपस्थितः। उनके द्वारा एक दस्तावेज दिया गया उसके अनुसार तहसीलदार हुरा के मध्य 13.12.2024 को ज्वगन आदेश जारी किया गया है। जिसमें मृतक आवेदिका के पति के द्वारा किया जा रहे निर्माण पर रोक लगाया गया। चूंकि यह प्रकरण राजस्व न्यायालय के विचाराधीन है और आवेदिका की मृत्यु हो चुकी है। ऐसी कथा के आवेदिका के पति को समझाईश दिया गया कि व राजस्व प्रकरण में माग ले अथवा उसका अपील प्रस्तुत करें। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया है। एक अन्य प्रकरण में अनावेदक गिरधर राम साहू अनुपस्थित। शेष सभी अनावेदकगण उपस्थित। आवेदिका ने बताया कि अनावेदक क्र. और 5 के शेष अनावेदकगण के साथ मिलकर दूसरा विवाह किया है। जबकि आवेदिका का विधिवत तलाक कही हुआ है अनावेदक संतराम साहू के इस बात की पुष्टि किया है कि इस बात की पुष्टि किया है कि सामाजिक बैठक के आवेदिका और अनावेदक अलग-अलग रहने का सलाह दिया गया था। जिसके बाद अनावेदक के 1 और 5 के दूसरा विवाह किया है जिसमें 4 साल की बेटी है। इसमे अनावेदक क्र. 1 और 5 के दूसरे अवैध विवाह की भी पुष्टि होती है। इसके लिए आवेदिका इन सभी अनावेदकगणों के खिलाफ दूसरा विवाह करके और कराने वालो के विरूद्ध न्यायालय में अपराधिक परिवाद प्रस्तुत का सकते है। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबद्ध किया जाता है। क्योकि आवेदिका के भरण पोषण का मामला न्यायालय में प्रस्तुत कर किया है। अतः प्रकरण नस्तीबद्ध किया जाता है। आज की आर्डरशीट की कापी आवेदिका को निःशुल्क दिया गया। एक अन्य प्रकरण में आवेदिका के पति उपस्थित होकर बताया कि उभयपक्ष का मामला दिवानी मामला महासमुन्द में चल रहा है। उसकी प्रति एवं आवेदिका के हस्ताक्षर हुए पत्र भेजे जाने पर प्रकरण समाप्त किया जायेगा।