10 वर्षों के बाद उच्च न्यायालय से मिला यशवंत को न्याय

10 वर्षों के बाद उच्च न्यायालय से मिला यशवंत को न्याय

सूरजपुर से परवेश गोयल की रिपोर्ट

सूरजपुर। ग्राम बसदेई निवासी यशवन्त थवाइत की नियुक्ति लैब टेक्नीशियन के पद पर संभागीय संयुक्त संचालक (स्वास्थ्य) के द्वारा वर्ष 2013 में की गई थी।  प्रतीक्षा सूची में शामिल उम्मीद्वार की शिकायत कि यशवन्त थवाइत सरगुजा संभाग के निवासी नहीं है,के कारण नियुक्ति के 5 माह बाद संयुक्त संचालक के द्वारा निरस्त कर दी गई थी, जबकि प्रार्थी ने बसदेई जिला सूरजपुर के निवासी होने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था। उक्त प्रभाग पत्र को संभागीय संयुक्त संचालक ने अवैध मानकर नियुक्ति निरस्त कर दी थी। 
यशवन्त थवाइत नियमित नियुक्ति से पूर्व भी 2005 से 2013 तक प्रा० स्वा० केन्द्र बसदेई में संविदा लैब टेक्नीशियन के पद पर पदस्थ था, जारी प्रमाण पत्र में भी इसका उल्लेख था लेकिन संयुक्त संचालक के द्वारा जारी नियुक्ति निरस्त आदेश को चुनौती देते हुए बाद प्रार्थी ने अधिवक्ता वरुण शर्मा के माध्यम से उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी जिस पर 29 जुलाई 2024 को न्यायधीश राकेश मोहन पान्डेय ने संयुक्त संचालक के आदेश को निरस्त कर प्रार्थी को फिर से उसी पद पर यथावत रखने का आदेश यशवन्त थवाइत के पक्ष में दिया है। युवा यशवन्त को देर से ही सही पर न्याय जरूर मिला।  उच्च न्यायालय ने सुनवाई में यह तर्क दिया कि यदि कोई किसी स्थान पर लगातार 5 या उससे ज्यादा वर्षों से निवासरत है तो उसे उस स्थान का स्थानीय निवासी माना जाए । प्रार्थी 2004 से लगातार 2013 लक प्राथमिक स्वा० केन्द बसदेई में पदस्थ रहते हुए वहीं निवासरत था।