दिव्य घोष और ध्वज दंड के साथ निकली शोभायात्रा,विद्याधरजी की बिनौली में शामिल हुआ सकल दिगम्बर जैन समाज

दिव्य घोष और ध्वज दंड के साथ निकली शोभायात्रा,विद्याधरजी की बिनौली में शामिल हुआ सकल दिगम्बर जैन समाज

सच्चा साधु वही है जो हर परिस्थिति में समानता और समता धारण करता है : 105 आर्यिका अंतर्मति माताजी

रायपुर। सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वाधान में आज आचार्यश्री विद्यासागर महाराज का 58वां दीक्षा महोत्सव भव्यता के साथ मनाया गया। महोत्सव के दौरान आर्यिका अंतर्मति माता एवं आर्यिका अनुग्रहमति माता का 34वां दीक्षा दिवस भी मनाया गया। सुबह 7.30 बजे श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर, टैगोर नगर से शोभायात्रा एवं विद्याधर जी की बिनौली निकली, जो विभिन्न मार्गों से होते हुए पटवा भवन पहुंची। शोभायात्रा में दौरान बैनर, दिव्य घोष, संदेश वाहक, ध्वज दंड, मंगल कलश के साथ आचार्यश्री विद्यासागर जी की तस्वीर रखी गई थी, जिसके साथ जैन समाज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

साथ ही वाद्ययंत्र, पंच परमेष्ठी के प्रतीकस्वरूप पांच बड़े ध्वज, फाफाडीह महिला मंडल का ध्वज, शंकर नगर महिला मंडल का ध्वज, टैगोर नगर महिला मंडल का ध्वज, मालवीय रोड महिला मंडल का ध्वज, लाभांडी महिला मंडल का ध्वज, अशोका रत्न-कचना मंदिर महिला मंडल का ध्वज, डीडी नगर महिला मंडल का ध्वज और चूड़ी लाइन महिला मंडल का ध्वज चल रहा था। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के ब्रह्मचर्य अवस्था के बाल रूप (विद्याधर) के रूप में उनके शिष्य ब्रह्मचारी सुनील भैया जी एवं आचार्य श्री के ग्रस्थ अवस्था के माता-पिता मां श्रीमंती एवं पिता मल्लप्पा के रूप में श्रीमती सोनल- श्री मनीष जैन, रायपुर ने शोभायात्रा में बग्गी बैठकर शोभा यात्रा की शान बढ़ाई।

शोभायात्रा के पश्चात आचार्य भगवान की पूजन की गई और विशेष रूप से समाज सेवा के क्षेत्र में अपनी अग्रणी सेवाओं के लिए विभिन्न लोगों का सम्मान किया गया जिसमें श्री मोनू जैन गोधा, श्री रवि- संध्या जैन सेठी, श्री रानू जैन, श्री ललित जैन पटवा आदि शामिल रहे।

आयोजन को सफल बनाने हेतु सकल दिगंबर जैन समाज ने अपना योगदान दिया जिसमें मुख्य रूप से नवीन जैन मोदी, प्रियांक जैन, सौरभ जैन, आनंद जैन एवं टैगोर नगर दिगंबर जैन समाज तथा श्री जैन युवा महासभा के सदस्यों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए आयोजन को भव्य रूप दिया।

आयोजन का सफल संचालन राजेश जैन रज्जन एवं प्रियांक जैन ने किया तथा श्री विनोद जैन बड़जात्या के नेतृत्व में सकल दिगंबर जैन समाज ने माताजी ससंघ से रायपुर में चातुर्मास स्थापित करने हेतु निवेदन किया।

धर्म सभा को माताजी ने किया संबोधित
धर्म सभा को संबोधित करते हुए 105 आर्यिका अंतर्मति माताजी ने कहा कि सच्चा साधु वही होता है जो जीवन के हर परिस्थिति में समभाव रखे। चाहे शत्रु हो या मित्र, महल हो या श्मशान, जीवन हो या मृत्यु—वह समानता और समता के मार्ग पर अडिग रहता है।

एक प्रसंग है। एक आठ साल का बालक सुबह-सुबह बगीचे में टहल रहा था। वह ताजी हवा का आनंद ले रहा था, फूलों की मनमोहक खुशबू और सूर्य की सुनहरी किरणों को अपने भीतर महसूस कर रहा था। तभी वह दौड़कर घर गया और एक संदूक लेकर बाहर आया।

इसके बाद वह फिर से घर में गया और अपनी माता को पुकारा। माता के आते ही वह बोला, “माँ, अपनी आँखें बंद कर लीजिए, मैं आपको कुछ खास दिखाना चाहता हूँ।” माता ने आँखें बंद कर लीं। बालक ने संदूक खोला और अचानक फूट-फूटकर रोने लगा। माँ घबरा गईं और पूछा, “क्या हुआ बेटा?”

बालक ने रोते हुए कहा, “मैं इस संदूक में सुबह की ताजी हवा, फूलों की खुशबू और सूरज की किरणें भरकर आपके लिए लाया था। लेकिन अब संदूक खोलते ही ये सब गायब हो गए।”

माँ ने प्यार से समझाया, “बेटा, सुबह की हवा, फूलों की खुशबू और सूर्य की रोशनी को कभी भी कैद नहीं किया जा सकता। इन्हें केवल महसूस किया जा सकता है।”

गुरूवर्याश्री ने इस उदाहरण के माध्यम से कहा कि ठीक इसी प्रकार हम आचार्य विद्यासागर जी महाराज के व्यक्तित्व और उनकी महानता को शब्दों के संदूक में नहीं बाँध सकते। ऐसा करना उनकी विशालता और ऊँचाई को सीमित करने जैसा होगा।

गुरूवर्याश्री ने यह भी कहा कि यदि आप मृत्यु के बाद भी अमर होना चाहते हैं, तो ऐसा कुछ कर जाइए कि लेखक और कवि आपको अपने शब्दों में सँजो लें। या फिर स्वयं कुछ ऐसा लिख जाइए, जो लोगों के पढ़ने और याद रखने लायक हो। तब आप सदैव लोगों के दिलों में जीवित रहेंगे।

धर्मसभा में रायपुर के पूर्व सांसद और वर्तमान रायपुर दक्षिण विधायक सुनील सोनी विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि जैन समाज द्वारा चातुर्मास के दौरान लगातार जो धार्मिक आयोजन किए जाते हैं, वे समाज और आने वाली पीढ़ी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे समय में गुरूवर्याश्री से निवेदन है कि युवा पीढ़ी को ऐसा मजबूत आध्यात्मिक मार्गदर्शन दें, जिससे सामाजिक ताना-बाना और भी सुदृढ़ हो सके।