गोवर्धन लीला से प्रकृति संरक्षण की शिक्षा मिलती है : आचार्य दिनेश

गोवर्धन लीला से प्रकृति संरक्षण की शिक्षा मिलती है : आचार्य दिनेश

जांजगीर-चांपा से संवाददाता राजेश राठौर की रिपोर्ट 

खोखरा। चैत्र नवरात्रि के अवसर पर ग्राम खोखरा स्थित मां मनका दाई मंदिर में चल रही भागवत कथा में छठवें दिन गोवर्धन पर्वत प्रसंग की चर्चा की गई। कथा वाचक आचार्य दिनेश रोहित चतुर्वेदी ने कहा कि इस प्रसंग से प्रकृति की पूजा और उसके संरक्षण की शिक्षा मिलती है।
भगवान कृष्ण ने इंद्र पूजा बंद कर गाय, गोवर्धन, अग्नि एवं ब्राह्मण की पूजा करने की प्रेरणा दी। इन सबसे ही समाज का विकास होता है। गोवर्धन पर छप्पन भोग लगवाकर प्रकृति की पूजा का संदेश दिया। प्रकृति हमारी पोषण एवं रक्षण दोनों करती है। जब भगवान कन्हैया ने इंद्र की पूजा को छुड़वा दिया और समस्त ब्रजवासियों से गोवर्धन की पूजा के लिए प्रेरित किया जिससे कुपित होकर इंद्र ने सांवर्तक नामक मेघों को आदेश दिया कि समस्त बृज पर इतनी घनघोर वर्षा करो कि इस धरा से समस्त बृज का ही नाम मिट जाए। इंद्र की आज्ञा पाते ही बृज पर घनघोर वर्षा करना प्रारंभ किया। समस्त बृज वासियों ने मिलकर भगवान कृष्ण से प्रार्थना की। तब भगवान ने अपने बाएं हाथ की कनिष्का उंगली पर गोवर्धन पर्वत को धारण कर समस्त ब्रजवासियों की रक्षा की और इंद्र के अभिमान का नाश किया। कथा शमें सैकड़ों श्रोता उपस्थित रहे।