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पुनर्विचार शिविर में वनाधिकार के 7061 प्रकरणों की सुनवाई पूर्ण


बलरामपुर| जिला स्तरीय वनाधिकार समिति के निर्देशन में वनाधिकार पत्रों के निरस्त प्रकरणों का पुनर्विचार कर सुनवाई हेतु समस्त विकासखण्डों में शिविर का आयोजन किया जा रहा है। जिले में कुल 53769 निरस्त प्रकरणों की सुनवाई के क्रम में विकासखण्ड वाड्रफनगर के 7061 प्रकरणों पर पुनर्विचार किया गया। शिविर में ग्रामवार 22 काउंटर बनाया गया, जिससे व्यवस्थित रूप से सुनवाई कार्य सम्पन्न हुआ। कलेक्टर श्री श्याम धावड़े तथा पुलिस अधीक्षक श्री रामकृष्ण साहू ने शिविर में सम्मिलित होकर काउंटरों का निरीक्षण किया तथा आवेदकों से बात की एवं अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए। शिविर में वनाधिकार के नए आवेदन भी लिए गए जिसमें लगभग 500 लोगों ने आवेदन किया।
कलेक्टर श्याम धावड़े ने शिविर में आमजनों को संबोधित करते हुए वन अधिकार अधिनियम के नियमों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वन अधिकार अधिनियम 2006 जनजातीय समुदाय तथा अन्य परंपरागत वनवासियों को आजीविका की निर्भरता देखते हुए वन अधिकार पट्टा प्रदान करता है। अधिनियम के प्रावधान बिल्कुल स्पष्ट हैं जिसके अंतर्गत पात्रता रखने वाले आवेदकों को पट्टा प्रदान किया जाएगा। उन्होंने आवेदक के पास दस्तावेज न होने की स्थिति में किन प्रक्रियाओं का पालन किया जाना है, उसकी जानकारी दी। अधिनियम के प्रावधानों से जुड़े आवेदकों की शंकाओं को भी उन्होंने दूर किया तथा शिविर में उपस्थित रहकर लोगों को मार्गदर्शन देते हुए उनकी समस्याएं सुनी। शिविर में पहुंचे विकासखण्ड वाड्रफनगर के ग्राम स्याही निवासी दीनानाथ ने बताया कि उन्होंने एक एकड़ भूमि के लिए आवेदन किया था, जिसे निरस्त करने के उपरांत पुनर्विचार का अवसर प्रदान किया गया है। इसी प्रकार ग्राम विरेन्द्रनगर निवासी नन्दकेश्वर ने बताया कि मेरे जैसे क्षेत्र के हजारों ग्रामीणों को सुनवाई का अवसर प्रदान किया गया तथा नए आवेदन भी स्वीकृत किए गए जो सराहनीय पहल है। वनाधिकार के निरस्त प्रकरणों के पुनर्विचार ने जहां एक ओर नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत को स्थापित किया है वहीं दूसरी ओर शासन के मंशा को भी साकार कर रहा है।
