प्रदेश के बांधों में जल संकट, मोंगरा, माड़मसिल्ली सहित कई बांध सूखे

प्रदेश के बांधों में जल संकट, मोंगरा, माड़मसिल्ली सहित कई बांध सूखे
रायपुर (चैनल इंडिया)। प्रदेश में समय से पहले मानसून की दस्तक के बावजूद बारिश की कमी ने बांधों को संकट में डाल दिया है। मुरुमसिल्ली, मोंगटा बैटराज, किनकारी नाला, पेंड्रावन और घाटा जलाशय पूरी तरह सूख चुके हैं। कम बारिश और अत्यधिक पानी की निकासी इसके मुख्य कारण हैं। प्रदेश में समय से पहले मानसून की दस्तक के बावजूद बारिश की कमी ने बांधों को संकट में डाल दिया है। प्रदेश के प्रमुख बांधों का जलस्तर तेजी से गिर रहा है, और वर्तमान में केवल 24 प्रतिशत पानी शेष बचा है। बांधों से 17 मार्च से निस्तारी के लिए पानी छोड़ा गया। उस समय जलस्तर 55 प्रतिशत से अधिक था, लेकिन तालाबों को भरने के लिए पानी का सही प्रबंधन न होने और भीषण गर्मी के कारण डेढ़ माह तक पानी की निकासी जारी रही। नतीजतन 12 प्रमुख बांधों में भी अब केवल 24 प्रतिशत पानी बचा है। मिनीमाता बागो में 25 प्रतिशत, गंगरेल में 31प्रतिशत, तांदुला में 17 प्रतिशत, दुधावा में 19 प्रतिशत, सिकासार में 18 प्रतिशत, खारंग में 33 प्रतिशत, सोंदूर में 18 प्रतिशत,और कोडार में मात्र 8 प्रतिशत पानी शेष है। सिंचाई विभाग के मुताबिक, कई बांधों में अब केवल पेयजल और औद्योगिक जरूरतों के लिए ही पानी बचा है।
महानदी की सहायक नदी सिलयारी पर बना मुठमसिल्ली बांध (क्षमता 40.15 मिलियन क्यूबिक मीटर) पहली बार पूरी तरह सूख गया है। धमतरी का माड़मसिल्ली बांध भी डेड स्टोरेज में पहुंच चुका है, जहां अब मवेशी घास चर रहे हैं। बांध में केवल 0.121 टीएमसी पानी बचा है। गंगरेल बांध में 8.423 टीएमसी (31.10 प्रतिशत), दुधावा में 1.936 टीएमसी (19.30 प्रतिशत) और सोंदूर में 1.157 टीएमसी ( 18.21 प्रतिशत) पानी शेष है। शिवनाथ नदी पर बना मोंगरा बैराज (क्षमता 40 मिलियन क्यूबिक मीटर) भी दो दशकों में पहली बार सूखने की कगार पर है। मई में यह पूरी तरह सूख चुका है। सिंचाई विभाग के अनुसार, 46 में से 34 बांध पिछले साल की तुलना में अधिक खाली हैं। 20 बांधों में जलस्तर 25 प्रतिशत से भी नीचे चला गया है। कम बारिश, तेज वाष्पीकरण और बांधों की क्षति इस संकट के प्रमुख कारण हैं।