कहानी ओपनहाइमर की, वो वैज्ञानिक जिसने पहला परमाणु बम बनाया, फिर पछतावे और दर्द से खुद टूट गया...
Oppenheimer

नई दिल्ली। जुलाई 1945 की एक सुबह न्यू मैक्सिको के रेगिस्तान में एक चमकदार रोशनी ने आसमान को चीर दिया। यह था ट्रिनिटी टेस्ट, दुनिया का पहला परमाणु बम विस्फोट। इस ऐतिहासिक पल के पीछे थे जे. रॉबर्ट ओपनहाइमर, जिन्हें परमाणु बम का जनक कहा जाता है। लेकिन इस वैज्ञानिक की कहानी सिर्फ विज्ञान की जीत की नहीं बल्कि अपार पछतावे, नैतिकता के सवालों और मानवता के प्रति जिम्मेदारी की है।
एक ऐसा पल भी आया जब हिरोशिमा और नागासाकी की तबाही के बाद ओपनहाइमर ने कहा कि मेरे हाथ खून से सने हैं। उनकी यह बात आज भी दुनिया को झकझोरती है। खासकर तब जब भारत और पाकिस्तान जैसे परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच तनाव की स्थिति बढ़ी है। भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी प्रतिक्रिया में भले ही इस बात का ध्यान रखा, लेकिन पाकिस्तान परमाणु बम की धमकी से बाज नहीं आता। मानवतावादी और शांति प्रिय मुल्क कभी इस तरह की धमकी नहीं देते। उन्हें पता होता है कि आखिर ओपनहाइमर को इतना क्यों पछताना पड़ा।
22 अप्रैल, 1904 को न्यूयॉर्क में जन्मे जूलियस रॉबर्ट ओपनहाइमर एक असाधारण बुद्धिजीवी थे। हार्वर्ड से केमिस्ट्री में डिग्री, जर्मनी के गॉटिंगेन विश्वविद्यालय से भौतिकी में पीएचडी और क्वांटम मैकेनिक्स में महत्वपूर्ण योगदान दिया। सीधे शब्दों में कहा जाए तो उनमें बेजोड़ प्रतिभा थी। उपलब्ध जानकारी के अनुसार साल 1942 में जब द्वितीय विश्व युद्ध अपने चरम पर था। अमेरिका ने मैनहट्टन प्रोजेक्ट शुरू किया। इस प्रोजेक्ट का मकसद था नाजियों से पहले परमाणु बम बना लेना। इस प्रोजेक्ट की कमान सौंपी गई वैज्ञानिक ओपनहाइमर को जिन्होंने न्यू मैक्सिको के लॉस एलामोस लैबोरेट्री में हजारों वैज्ञानिकों को एकजुट किया।
फिर 16 जुलाई 1945 को ट्रिनिटी टेस्ट की सफलता ने इतिहास रच दिया। उस वक्त ओपनहाइमर के दिमाग में हिंदू धर्मग्रंथ भगवद गीता की पंक्तियां गूंजीं उन्हें जैसे कोई कह रहा हो अब मैं मृत्यु बन गया हूं, विश्व का संहारक। यह पल उनके लिए विजय और भय का मिश्रण था।
6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा पर लिटिल बॉय और 9 अगस्त को नागासाकी पर फैट मैन परमाणु बम गिराए गए। इन हमलों में करीब 2 लाख लोग मारे गए, इनमें ज्यादातर आम नागरिक थे। जापान ने 15 अगस्त को आत्मसमर्पण कर दिया और यहां से द्वितीय विश्व युद्ध खत्म हुआ। बताते हैं कि शुरू में ओपनहाइमर ने इस जीत का जश्न मनाया। फिर नागासाकी की बमबारी जिसे उन्होंने सैन्य दृष्टिकोण से गैरजरूरी माना था, इस बमबारी ने उन्हें भीतर तक तोड़ दिया।