15 मई से शुरू होने जा रहा पुष्कर कुंभ

15 मई से शुरू होने जा रहा पुष्कर कुंभ

नई दिल्ली। बद्रीनाथ से तीन किलोमीटर दूर माणा गांव से निकलने वाली सरस्वती नदी पर इस बार 12 साल बाद पुष्कर कुंभ लगेगा। जिसमें दक्षिण भारत के सैकड़ों शामिल होंगे। सरस्वती नदी का उद्गम माणा गांव में ही बताया जाता है। यहां महज 1 किलोमीटर के दायरे में सरस्वती नदी बहती है और यहीं पर वेदव्यास जी ने महाभारत की रचना की थी और इस दौरान सरस्वती को स्थापित किया गया था।

महाभारत रचना और वेदव्यास जी की कथा जुड़ी है इस स्थान से माना जाता है कि सरस्वती नदी का शोर बहुत था और वेदव्यास जी को महाभारत की रचना करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। इस वजह से उन्हें केशव प्रयाग में विलुप्त कर दिया गया आदि जगतगुरू शंकराचार्य जी को भी वेद व्यास जी ने यहां ज्ञान दिया था, वही परम्पराओं में दक्षिण भारत के अभी आचार्य पंडित यहां हर 12 वर्ष में पुष्कर कुंभ में पहुंचते हैं और सरस्वती नदी के उद्गम में पुष्कर कुंभ मनाते हैं।

क्या है पुष्कर कुंभ की विशेषता :

दक्षिण भारतीय आचार्यों की परंपरा में प्रत्येक 12 वर्षों के बाद मिथुन राशि के बृहस्पति के प्रारंभ होने बद्रिकाश्रम में पुष्कर कुंभका आयोजन किया जाता है। पुष्कर कुंभ का यह आयोजन 15 मई 2025 से शुरू होगा और 25 मई तक चलेगा। जिसके लिए बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति ने तैयारियां शुरू कर दी है, जिससे आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो।