'गूगल मैप' के चक्कर में गुम हो गई पुलिस, छापा मारने जाना था असम मगर पहुंच गए नागालैंड

'गूगल मैप' के चक्कर में गुम हो गई पुलिस, छापा मारने जाना था असम मगर पहुंच गए नागालैंड

नई दिल्ली। आज के आधुनिक युग में हम सभी कहीं आने जाने के समय रास्ता ढूंढ़ने के लिए अक्सर 'गूगल मैप्स' का यूज करते हैं, लेकिन कई बार यही टेक्नोलॉजी हमें धोखा दे देती है जिससे लेने के देने पड़ जाते हैं। अभी हाल ही में एक ऐसा ही वाकया सामने आ रहा है जहां असम में छापा मारने जा रही पुलिस की एक टीम को गूगल मैप ने नगालैंड में पहुंचा दिया। बताया जा रहा है कि इस दौरान ज्यादातर पुलिसकर्मी सिविल ड्रेस में ही थे। इसलिए वहां के लोगों ने पुलिस की टीम को मॉडर्न हथियारों के साथ देखा तो उन्हें बदमाश समझ लिया। वो किसी वारदात को अंजाम न दें, इसलिए लोगों ने उनपर हमला कर उन्हें बंधक बना लिया।

एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि असम पुलिस की 16 सदस्यीय टीम छापेमारी के दौरान गूगल मैप द्वारा दिखाए जा रहे रूट को फॉलो करते हुए अनजाने में नगालैंड के मोकोकचुंग जिले में पहुंच गई। इस दौरान स्थानीय लोगों ने उन पर हमला कर दिया और उन्हें रात भर बंधक बनाकर रखा। 

रिपोर्ट के मुताबिक, असम पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि घटना मंगलवार रात को उस समय हुई जब जोरहाट जिला पुलिस की एक टीम एक आरोपी को पकड़ने के लिए छापेमारी कर रही थी।

उन्होंने कहा, "ये एक चाय बागान क्षेत्र था, जिसे गूगल मैप्स पर असम में दिखाया गया था। हालांकि यह वास्तव में नगालैंड की सीमा में था। जीपीएस पर भ्रम के कारण अपराधी की तलाश में टीम नगालैंड के अंदर चली गई। स्थानीय लोगों ने असम पुलिस की टीम को अत्याधुनिक हथियार लेकर आए कुछ बदमाशों के रूप में समझा और उन्हें हिरासत में ले लिया।"  

अधिकारी ने बताया, "16 पुलिसकर्मियों में से केवल तीन ही वर्दी में थे और बाकी सादे कपड़ों में थे। इससे स्थानीय लोगों में भी भ्रम की स्थिति पैदा हो गई। उन्होंने टीम पर हमला भी किया और हमारा एक कर्मी घायल हो गया।" 

नगालैंड में प्रतिकूल स्थिति की सूचना मिलने पर जोरहाट पुलिस ने तुरंत मोकोकचुंग के पुलिस अधीक्षक से संपर्क किया, जिन्होंने असम पुलिस कर्मियों को बचाने के लिए एक टीम मौके पर भेजी। तब स्थानीय लोगों को एहसास हुआ कि यह असम से आई असली पुलिस टीम थी और उन्होंने घायल व्यक्ति समेत पांच सदस्यों को छोड़ दिया। हालांकि उन्होंने 11 लोगों को रातभर बंधक बनाकर रखा। उन्हें सुबह रिहा कर दिया और बाद में वो जोरहाट पहुंचे।