“शिक्षा में संस्कृति का संगम, उत्तराखंड के स्कूलों में पढ़ाए जाएंगे गीता श्लोक”

“शिक्षा में संस्कृति का संगम, उत्तराखंड के स्कूलों में पढ़ाए जाएंगे गीता श्लोक”

नई दिल्ली। उत्तराखंड के सभी सरकारी स्कूलों में अब श्रीमद् भागवत गीता के श्लोक गूंजेंगे। राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों की सुबह की प्रार्थना सभा में भागवत गीता के श्लोक अनिवार्य रूप से बोले जाएंगे। शिक्षा विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं और सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे इसे तत्काल लागू कराएं।

सरकार का कहना है कि गीता के श्लोकों से बच्चों में नैतिक मूल्यों, चरित्र निर्माण और सकारात्मक सोच का विकास होगा। साथ ही, छात्रों को भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक ज्ञान से भी परिचित कराया जाएगा। शिक्षा मंत्री ने कहा कि इसका उद्देश्य धार्मिक शिक्षा देना नहीं, बल्कि विद्यार्थियों को जीवन मूल्य सिखाना और मानसिक मजबूती देना है।

हालांकि, इस फैसले पर विपक्षी दलों और कुछ सामाजिक संगठनों ने सवाल उठाए हैं, उनका कहना है कि स्कूलों को धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए और किसी एक धर्मग्रंथ को अनिवार्य करना संविधान की भावना के खिलाफ हो सकता है। इस पर सरकार का जवाब है कि श्रीमद्भागवत गीता को भारतीय दर्शन और संस्कृति का हिस्सा मानते हुए इसे नैतिक शिक्षा का स्रोत समझा जा रहा है।

फिलहाल, राज्य के स्कूलों में जल्द ही प्रार्थना सभा के दौरान गीता के श्लोक पढ़ने की व्यवस्था शुरू कर दी जाएगी और शिक्षकों को इसके लिए विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।